Chapter 1 – The Call of Darkness
"कुछ ताकतें हमारे पास आती नहीं... हमें उन्हें खींचना पड़ता है।
और कभी-कभी, उसकी कीमत होती है... खुद अपनी रूह।"
आसमान में काली घटाएं थीं। ठंडी हवा Aura के चेहरे से टकरा रही थी।
वो अकेला खड़ा था, अपनी ही छाया को घूरते हुए। उसकी हथेली में नीली रेखा चमक रही थी—एक अजीब सी रोशनी, जो किसी आम इंसान के पास नहीं होनी चाहिए थी।
(Inner Monologue)
"माँ… पापा… अगर आज आप होते, तो क्या मुझे ऐसा बनते देखने देते?"
Aura की आँखों में उदासी नहीं थी। वहाँ था—सिर्फ गुस्सा।
उसकी मुट्ठी भिंच गई।
Uno (धीरे से पीछे से आता है)
"तैयार हो जाओ, Aura।
आज से तुम्हारी असली परीक्षा शुरू होती है।"
Aura ने अपनी नीली आँखें उठाईं। Uno, जो उसकी ट्रेनिंग करता था, आज ज़्यादा गंभीर लग रहा था।
उसके कपड़े हवा में उड़ रहे थे, और उसकी आँखों में भी कुछ छुपा था।
Aura (धीमी आवाज़ में)
"परीक्षा? और कितनी बार?
मुझे कब तक छाया में जीना है, मास्टर?"
Uno ने आगे बढ़कर Aura के कंधे पर हाथ रखा।
Uno:
"जब तक तू खुद छाया नहीं बन जाता।
यही इस दुनिया का नियम है। कमजोर को कोई नहीं पूछता। और तुझमें वो है… जो किसी में नहीं।"
एक अजीब सी सिहरन Aura के शरीर में दौड़ गई।
वो जानता था कि उसकी ताकत अलग है।
पर उस ताकत की कीमत… उसे अभी तक समझ नहीं आई थी।